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तारों भरी रात है बिना चांद की

तारों भरी रात है

बिना चांद की

चांद उतर गया आसमान से और

बैठ गया जाकर

जमीन पर विचर रही

चांदनी के दिल में

चांदनी को था

चांद का इंतजार

न जाने कितनी सदियों की थी

यह प्यास

वह थी कब से इस पल के लिए

बेकरार

चांद जो उसे आज मिला तो

चांदनी का मुरझाया दिल

एक रोशनी का फूल बनकर

खिला

यह ख्वाब तो पूरा हो गया था

उसका

एक दूसरी और आखिरी हसरत थी

चांद के साथ चांद देश

हमेशा के लिए चले जाना  

सितारों के टिमटिमाते आंचल तले और

जगमगाते चांद की बाहों में

जाकर हमेशा के लिए सो जाना।