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चांद के पार भी

चांद तक तो पहुंचु

फिर जानूं कि चांद के पार क्या होगा

चांद के पार क्या होगा

एक दूसरा चांद होगा

दूसरे चांद के पार क्या होगा

एक तीसरा चांद होगा

चांद के असंख्य प्रतिबिंब होंगे और

आसमान में एक चांद नगर का बसेरा होगा

जगमगाते होंगे उसमें चांद के दीपक बेशुमार

मैं चांद की कश्ती में सवार होंगी तो

साथ में मेरे

मेरे चांद का भी सानिध्य होगा

मैं चांद पर भी,

चांद के पार भी अपने चांद के बिना

अधूरी रहूंगी

चांद तक या चांद के पार नहीं भी पहुंची

जमीन पर चांद के पार जाने का

अहसास होगा

उनका साथ जो जमीन पर

एक चांद को पाने सा होगा।