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खुशी का एक पल

खुशी का एक पल

जो कभी मिले तो

उसे हाथ से कभी जाने मत देना

मत फिसलने देना अपनी हथेलियों से

किसी रेत की तरह

मत पिघलने देना उसे बर्फ की ही किसी

एक डली की तरह

कसकर पकड़ लेना

अपनी मुट्ठियों में भींच लेना  

दुआ करना कि

खुशियों के ऐसे ही पल तुम्हें

उम्र भर मिलते रहें

बांधकर रख लेना फिर इसे

एक गाय के बछड़े सा ही

अपने दिल की खूंटी से

खुशी और वह भी

दिल को खुश करती खुशी का

मिलना किसी बेशकीमती खजाने  

के मिलने से कम नहीं है

यूं तो हम बात बात पर

मुस्कुराते दिख जायेंगे लेकिन

वह एक सच्ची खुशी नहीं है

खुशी का एक पल

एक सदी सा

एक बहती नदी सा

एक जन्नत सा

एक अलौकिक अहसास होता है

खुदा को पाने जैसा ही

खुद को भुलाने जैसा ही

किसी के इश्क में सराबोर होकर

उसके आगोश में खो जाने जैसा ही

खुशियों के पलों में से

खुशी का एक पल ऐसा मिलना

जिसमें रूह का कतरा कतरा

एक रूहानी खुशी दिल से,

जिस्म के रोये रोये से महसूस करे

अपने आप में जीवन भर की तपस्या का

फल है

एक बहुत बड़ी उपलब्धि है

कोई इस बात को गहराई से समझने

की ताकत रखता हो तब।