कीमत


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ऐ मानव

तेरी कीमत क्या इस संसार में

कुछ भी तो नहीं

तू खुद बना है मिट्टी से

माटी का एक पुतला

आखिर किस बात पर इतना

इतराता

इतना भाव खाता

माना जीते जी तो

तेरी

वह भी शायद तेरी और

थोड़ी बहुत तेरे मिलने वालों की

नजर में

तेरी कीमत है पर

मरने के बाद तो

कुछ भी नहीं

जीवन रहते भी तो

हर कोई बस

कोई न कोई उम्मीद दिल में पालकर ही

थोड़ा बहुत जी लेता है

यह भी तो सच है कि

हर सपना पूरा नहीं होता

मनचाही मंजिल नहीं भी मिलती

हर रिश्ता उम्मीद पर खरा नहीं

उतरता

जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर

एक एक करके

सब अपनों का साथ छूटता चलता

जब तू जीवित होता है

तब भी हर कोई तेरा अपना नहीं

होता

थोड़ा बहुत कोई हाथ थाम भी ले पर

आखिरकार हर कोई साथ छोड़

देता है

एक इंसान की कीमत

उसके जीते जी

थोड़ी बहुत है

उसके मरने के बाद तो

कुछ भी नहीं लेकिन

जैसी भी हो किसी की

परिस्थितियां

जीना तो होता है

कोई न कोई रास्ता निकालकर

आगे तो बढ़ना होता है

कहीं थककर रुकना नहीं होता

संघर्ष करते रहना ही तो

जीवन का दूसरा नाम है

कीमत तेरी मिट्टी है लेकिन

कुछ ऐसा महान कार्य कर कि

तू जीवन रहते चमके

एक हीरे सा और

मरने के बाद आकाश में चमके

एक ध्रुव तारे सा।


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