एक राम के तेज सा सूरज


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राम के नाम का किया

सदियों तक जाप

तब कहीं जाकर

इस युग की एक स्वर्णिम बेला के

अवसर पर मिले

सजीव रूप में भगवान श्री राम

मेरा जन्म जन्मांतर का

एक सपना हुआ साकार

जो मेरी आंखों के आंसू पोंछ

मुझसे गले लगकर मिले राम

प्रभु राम से मेरा संबंध

तब से है, जब से वह थे

उनका रिश्ता मुझसे जुड़ा

जब से मैं थी

राम एक आस्था की लंबी डोर हैं जो अनंत है

सबको खुद में समाहित करती

खुद को दूसरों के मन के दर्पण में उतारती

राम की भक्ति का दीपक

प्रज्वलित है

हर जन के मन में

एक अलौकिक छटा बिखेरता

हर नगरी, हर बन में

राम के स्मरण मात्र से

बन जायें सारे बिगड़े काम

राम जो विराजे मन मंदिर में तो

अंधकार त्यागता

एक राम के तेज सा सूरज उदय हो

हृदय स्थल में।


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