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एक युद्धपोत सा वह युद्ध ही करेगा

वह दूर से आता

दिख रहा है

एक युद्धपोत की भांति ही

आ रहा है

युद्ध का सारा सामान अपनी

कमर पर बांधे

आ रहा है तो

युद्ध ही करेगा

प्यार से तो कोई

वार्तालाप करना उसने

कभी सीखा ही नहीं

उसका दिल ही ऐसा है

उसकी सोच ही ऐसी है

उसकी मानसिकता ही ऐसी है

इससे बाहर निकलकर

वह कुछ नया प्रयोग नहीं

कर सकता

उससे बचकर रहना ही

युद्ध को जितना हो सके

टालने का एकमात्र उपाय है लेकिन

मेरी भी सीमायें तय हैं

भौगोलिक

शारीरिक

मानसिक

बौद्धिक

व्यवहारिक

भौतिक

सामाजिक

राजनीतिक

व्यवसायिक

वित्तीय

यह अनगिनत हैं

इनसे बाहर मैं कहां

जाऊं

पीछे कदम बढ़ाऊंगी

वह हमले के लिए आगे

लेकिन एक आखिरी सीमा पर तो

मुझे हाथ खड़े करने ही

पड़ेंगे

समझौता ही कर पाऊंगी

उम्र जो ढल रही है

युद्ध करने की कहां रह जाती है

हिम्मत

उम्र के आखिरी पड़ाव पर

लेकिन मन में अफसोस

होता है कि

कुछ लोग अपनी तमाम उम्र

लड़ाई झगड़ों में ही

जाया कर देते हैं

दूसरों के प्रति अपनी राय

नहीं बदलते

कभी उन्हें देख

मुस्कुराते नहीं

उनकी तरफ दोस्ती का हाथ

बढ़ाते नहीं

उन्हें आगे बढ़कर गले लगाते

नहीं

न खुद मुस्कुराते

न उन्हें ही मुस्कुराने देते।