in

एक पतझड़ के कहर की तरह ही

मैं खुद में कहीं

परत दर परत

सिमट रही हूं

खामोश हो रही हूं

गुम हो रही हूं

कली से फूल का बनना

यह तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन 

मैं कली से फूल न बनकर

बहार के मौसम में भी

एक पतझड़ के कहर की तरह ही

पत्ता पत्ता

जमीन पर

इधर उधर

तिनका तिनका

टुकड़ा टुकड़ा

चरमराकर

बिखर रही हूं।