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एक आजाद पंछी सी

किसी को

गर कैद खाने में

एक लंबे समय तक

बंद कर दिया जाये तो

वह बाहर के

खुले वातावरण में सांस लेने के लिए

हर पल तड़पेगा लेकिन

इसके उलट

अगर उसे स्वतंत्र छोड़ दिया तो

वह एक बंद कमरे में भी

बिना आसमान देखे या

उसके नीचे खड़े हुए बिना भी

बिना किसी परेशानी के

आराम से जब तक उसका मन करेगा

रह लेगा

बंदिश तो कभी किसी तरह की

होनी ही नहीं चाहिए लेकिन

प्रशिक्षण जबरदस्त होना चाहिए

किसी को लगातार सही बातें

समझाते रहना चाहिए लेकिन

किसी पर अपनी सोच को थोपना

नहीं चाहिए

एक सही सोच को विकसित कर

यदि किसी को आजादी दे दी तो

बंदिश में न रहते हुए भी

उसे सही दिशा में निर्णय लेने की

ताकत आ जायेगी और

अपने हक में सही फैसले लेने का

तरीका वह जान जायेगा

उसे अपनी हद भी समझ आ

जायेगी

मेरे मां बाप ने

आज तक मुझ पर कोई बंदिश

लगाई ही नहीं लेकिन

मुझे उनका मार्गदर्शन

हमेशा मिलता रहा और

मैंने एक आज्ञाकारी बालक की

तरह आंख बंद करके

उसका अनुसरण भी किया

इसका नतीजा बेहतरीन रहा

वह यह कि मैंने उनके द्वारा

दी गई आजादी या

उनका मेरे ऊपर पूर्ण

विश्वास

इसका कभी गलत फायदा उठाया ही नहीं

आज तक जीवन में

कोई गलत कदम उठाया ही नहीं

कोई गलत काम किया ही नहीं

मुझे हमेशा ही एक खुला

आसमान दिया गया

पंख फैलाकर एक आजाद पंछी सी

मैं उसमें खूब उड़ी और

जब तक चाहे उड़ी लेकिन

कभी अपनी हद नहीं भूली

अपना घर नहीं भूली

अपने मां बाप को नहीं भूली

उनके प्यार को कभी नहीं भूली

जो उन्होंने मुझ पर विश्वास किया

और जो मुझे आजीवन अभूतपूर्व सम्मान दिया तो

उसे आज तक न भूली और

अपनी आखिरी सांस तक न ही कभी भूलूंगी।