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इच्छा

इच्छाओं पर

अंकुश लगाना जरूरी है अन्यथा

इनका कभी अंत ही नहीं होगा

एक इच्छा पूर्ण होती है तो

दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी

इनकी गिनती करना भी संभव नहीं

मुंह उठाये

हसरत भरी निगाह से

आपके चेहरे की तरफ देख रही

होती हैं

सांसों की खेल सी ही यह

मन में, मस्तिष्क में

मनुष्य के उथल पुथल मचाये ही

रखती हैं

कई बार तो इनके दबाव में आकर

आदमी तनाव में आ जाता है

आक्रोशित हो जाता है

क्रोधित हो जाता है

अपना संयम खो देता है

अमानवीय कृत्य कर बैठता है

मजबूर हो जाता है

बेबस हो जाता है

अपराधी बन जाता है

हीन भावना से ग्रस्त हो जाता है

यह एक दलदल है

जितना खुद को बाहर निकालो

उतना ही अंदर को धंसाता है

इच्छाओं का दायरा

सीमित होना चाहिए

किसी भी इच्छा का कोई

महत्वपूर्ण ध्येय होना चाहिए

यह एक कल्याणकारी योजना के

समान फलीभूत होनी चाहिए

जो इच्छा करती हो

समय और पैसे की बर्बादी

जीवन में न हो उसका कोई

महत्व

उसे तत्काल त्याग दें

अपने दिल में उसे

कहीं कोई जगह न दें

इसी में सबकी भलाई है

आज के युग में

इच्छाओं पर काबू पा लेना

सबसे बड़ी कमाई है।

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