आग लगी है
किसी अग्नि की लपटों में
नहीं बल्कि
दिल में
यह आग ईर्ष्या की
द्वेष की
अहंकार की
बदले की भावना की
दुर्भावना की
सबसे बुरी होती है
प्रचंड होती है
एक तेजाब सी ज्वलनशील
और तन बदन का
रोम रोम झुलसा देने वाली
होती है
यह किसी के मन का भी
सारा खून निचोड़ लेती है
उसके तन की
मन की
आत्मा की
शुद्धता
उसके जीवन की सुंदरता
और
उसकी वाणी की मधुरता
सब कुछ तहस नहस
कर देती है
नष्ट कर देती है
एक सुंदर जिंदगी की कहानी का
कतरा कतरा जलाकर
राख कर देती है।