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आखिरी बचे एक सैनिक को

कसम जब उठाई है

इस युद्ध को जीतने की तो

आखिरी सांस तक तो लड़ना होगा

इस युद्ध के दौरान

न जाने कितने अपनों को भी

खोना होगा

कितने घर उजड़ेंगें

कितने संसाधन भी

तहस नहस हो जायेगा सब

बदशक्ल हो जायेगा सब लेकिन

हथियार जो हाथ में उठाया है

प्रण जो इस धरा की रक्षा का उठाया है

सिर जो ऊंचा उठाया है

उसे तो अब न धरा पर रखना होगा

न ही अपने घुटनों को किसी के

समक्ष टेकना होगा

आत्मसम्मान का सिर तो ऊंचा

रखना होगा

देश की रक्षा करनी होगी

अपना राष्ट्र ध्वज

आसमान में लहराते रहना होगा

युद्ध के मैदान में

आखिरी बचे एक सैनिक को भी

अपनी जान की बाजी लगाकर

जीतने का हौसला मन में बनाये

रखते हुए

अपनी आखिरी सांस तक

लड़ना ही होगा।