एक महकता हुआ
चांद हो या
आफताब हो
जन्नत की कोई हूर हो या
कोई महताब हो
किसी और के बाग में
खिलकर
अब यह कली मेरे दिल की बगिया में
खिल गई
सवेरा करेगी, बसेरा करेगी
फैलायेगी हर सू खुशबुओं का घेरा
यह तो तय है।
एक महकता हुआ
चांद हो या
आफताब हो
जन्नत की कोई हूर हो या
कोई महताब हो
किसी और के बाग में
खिलकर
अब यह कली मेरे दिल की बगिया में
खिल गई
सवेरा करेगी, बसेरा करेगी
फैलायेगी हर सू खुशबुओं का घेरा
यह तो तय है।
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