in

अन्तर्मन की यात्रा

मुझे कहीं नहीं जाना है

मेरे दिल में आ रहा है कि

मुझे आज खुद को ही पाना है

जीवन में अब तक बहुत सी

यात्रायें करके देख ली

कुछ हाथ नहीं लगा

सड़क पर चलकर देख लिया

पानी में तैरकर देख लिया

हवाओं में उड़कर देख लिया

दृश्य तो बहुत दिखते हैं

मंजर भी पल पल रंग बदलते हैं

वार्तालाप भी भांति भांति के

कानों को सुनते हैं

सब कुछ सुंदर है

मनोहारी है

लुभावना है

दिलचस्प है

आकर्षक है लेकिन

इन सबसे मुझे क्या लाभ

यह जरूर है कि मन

थोड़े बहुत बदलाव को महसूस

करके खुश हो लेता है

लेकिन फिर जिस बिन्दु से

चले थे

उसी स्थान पर वापस मुझे धकेल

देता है

कभी कभी मेरा मन यह सोचता है कि

यह सब कितना अस्थाई है

पलक झपकते ही खुशी गम में

बदल जाती है

बर्फ की डली पिघलकर पानी हो जाती है

अभी बारिश हो रही होती है

अगले पल देखो तो आसमान में

तेज धूप निकल आती है

यह सब दुनिया की तस्वीरें बहुत

देख ली इस मन के कैमरे ने

आज यात्रा करते हैं

अपने अन्तर्मन की

इसकी दुनिया में विचरते हैं

और इसके विचित्र रहस्यों को

जानने की कोशिश करते हैं

यह है सच में

एक अनोखी, अलग और

रहस्यमयी दुनिया

यात्रा भी ऐसी जो होती है

बिना किसी वाहन,

टिकट या

मार्ग के।