अतीत की बेड़ियां


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अतीत की बेड़ियां

मुझे सुखदायी लगती हैं क्योंकि

मेरा अतीत सुखद था

मैं इनकी कैद से

मुक्ति नहीं चाहती बल्कि

इसकी बेड़ियों के शिकंजे में और अधिक जकड़ जाना

चाहती हूं

ऐसा करने से मैं अतीत की यादों को

अपने समीप सदृश्य पाती हूं

वर्तमान सामान्य है लेकिन

आज की तारीख में

वक्त के क्रूर हाथों ने

मेरे अपनों को मुझसे छीन लिया है

उनकी जगह तो आने वाले समय में

अब कभी कोई ले ही नहीं पायेगा तो

जाहिर सी बात है कि

मेरा वर्तमान या भविष्य

अतीत के समान कभी हो नहीं पायेगा

मैं आशावादी हूं

निराशावादी नहीं लेकिन

जीवन की सच्चाई को समझती हूं

और

यह अब तक के तथ्यों पर

आधारित एक सही आंकलन की ही

सबके समक्ष प्रस्तुति करती हूं

मैं एक वेदना की कली हूं

कभी मुस्कुराती हुई

कभी आंसू बहाती हुई

कभी सकुचाई तो

कभी हवा के वेग से

खुद को संभालने की नाकाम

कोशिश करती हुई

एक तरफ झुकी हुई कहीं जमीन की

गर्त में ही समाई

मैं वर्तमान में जी रही हूं

एक सुंदर भविष्य की कल्पना

का स्वप्न मन में संजोये लेकिन

अतीत की बेड़ियों में जकड़ी

पेड़ की शाखों के बीच ही फंसे किसी पत्ते की तरह

इससे कभी न हो सकती मुक्त

इन्हीं में उलझी

एक फूल में ही रची बसी इसकी खुशबू की

तरह ही।


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