कुछ कर गुजरने का हो जज़्बा तुझमें और दिल में हौसला
मिलेगी प्यार की शीतल छाया ,तू उम्मीद का दामन फैला ।
ये अँधेरे क्या रोकेंगे रास्ता ,जब सौ दिए जल उठेंगे प्यार के
मंज़िल खुद ब खुद चलकर आएगी ,मिटा कर हर फ़ासला ।
रात कितनी भी सख़्त हो पर कब रोक पाया है सुनहरी भोर इसे
उम्मीद की जोत का,निर्मोही तूफ़ान क्या बिगाड़ सकेगी भला।
मोतियों की चाह हो तो उतार दे आशाओं की कश्ती बीच भँवर में
ऊपरवाला है जब पतवार भी,खेवनहार भी,तो तूफ़ान से कैसा गिला ?
वो और होंगे जो रात के ढलने के इंतज़ार में ,करवटें बदलते हैं
तू रात के आँचल में सूरज टाँक दे , दूर -दूर तक फैलेगा उजाला ।
ज़िंदगी गुज़र ही जाएगी , मगर कैसे गुजरेगी ये तुझे है सोचना
हर क़दम पर लेती है इम्तिहान ज़िंदगी,तू डटकर कर मुक़ाबला।
जलकर मर जाने के खौफ से परवाना कब दूर रह सका शमा से
मुहब्बत की मिसाल क़ायम कर जाता है वो अपना वजूद जला।
हर ओर दहशत का आलम क्यों है ,हर चेहरा मुरझाया सा क्यों है ?
चलो नये सिरे से जीने की राह ढूँढे, जुटाए दिल में जीने का हौसला ।
जब तक है उम्मीद-हौसले बुलंद होंगे,ख़्वाबों -ख़्वाहिशों के पंख होंगे
एक नई उम्मीद संग ज़िंदगी नई उड़ान भरेगी,उम्मीदों का सूरज कब ढला?
मिलेगी प्यार की शीतल छाया ,तू उम्मीद का दामन फैला ।
ये अँधेरे क्या रोकेंगे रास्ता ,जब सौ दिए जल उठेंगे प्यार के
मंज़िल खुद ब खुद चलकर आएगी ,मिटा कर हर फ़ासला ।
रात कितनी भी सख़्त हो पर कब रोक पाया है सुनहरी भोर इसे
उम्मीद की जोत का,निर्मोही तूफ़ान क्या बिगाड़ सकेगी भला।
मोतियों की चाह हो तो उतार दे आशाओं की कश्ती बीच भँवर में
ऊपरवाला है जब पतवार भी,खेवनहार भी,तो तूफ़ान से कैसा गिला ?
वो और होंगे जो रात के ढलने के इंतज़ार में ,करवटें बदलते हैं
तू रात के आँचल में सूरज टाँक दे , दूर -दूर तक फैलेगा उजाला ।
ज़िंदगी गुज़र ही जाएगी , मगर कैसे गुजरेगी ये तुझे है सोचना
हर क़दम पर लेती है इम्तिहान ज़िंदगी,तू डटकर कर मुक़ाबला।
जलकर मर जाने के खौफ से परवाना कब दूर रह सका शमा से
मुहब्बत की मिसाल क़ायम कर जाता है वो अपना वजूद जला।
हर ओर दहशत का आलम क्यों है ,हर चेहरा मुरझाया सा क्यों है ?
चलो नये सिरे से जीने की राह ढूँढे, जुटाए दिल में जीने का हौसला ।
जब तक है उम्मीद-हौसले बुलंद होंगे,ख़्वाबों -ख़्वाहिशों के पंख होंगे
एक नई उम्मीद संग ज़िंदगी नई उड़ान भरेगी,उम्मीदों का सूरज कब ढला?