पहली मुलाकात में हुआ उनसे प्यार
सोचते रहे कैसे करे इज़हार।
तभी मन में मेरे एक ख्याल आया
प्रियसी के नाम खत लिखने का विचार आया।
लिखा मैंने धड़कते दिल से
दिया फिर कांपते हाथों से।
नज़रे मेरी गड़ी थी ज़मीन पर
हामी भरेगी या इनकार करेगी, सता रहा था ये डर।
जवाब में जब इंकार आया,
दिल ये मेरा टूटकर बिखर गया।
बहते आंसू ख़त पर जब गिरे,
कलम से लिखे शब्द मिट गए।
ख्वाहिशें मेरी, प्रेम पत्र में दम तोड़ रही थी
विरह की वेदना दिल को मेरे कचोड रही थी ।
आंसू बहने लगे नदी की तरह,
ज़िन्दगी ने जैसे कह दिया हो अलविदा।
नहीं था ये, महज़ कागज़ का टुकड़ा,
ये तो था प्रेम पत्र मेरा।
काश तुमने हामी भरी होती,
हमारी भी एक प्रेम कहानी बनी होती।