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जीवन और संघर्ष: सीमाश्री द्वारा रचित कविता

मानव जीवन कंटक पथ है,संघर्षों से है भरा हुआ।
आकांक्षाओं,तृष्णाओं और आकर्षणों से भरा हुआ।

बूंद-बूंद का जीवन बनना, साकार शिशु बन जाना,
अंधकार की कारा से निकल, जन्म नया पा जाना,
नौ माह का संघर्ष,क्षण छंद और नौ सर्गो में बंधा हुआ।
मानव जीवन कंटक पथ है, संघर्षों से है भरा हुआ।।

कोमल काया का धीरे -धीरे पुष्ट शरीर में ढलना,
मन,मस्तिष्क और हृदय का समलयता में बढ़ना।
कहो बड़ा संघर्ष है,नियम,अनुशासन से कढा़ हुआ।
मानव जीवन कंटक पथ है, संघर्षों से है भरा हुआ।।

जीवन के फिर प्रश्न बड़े आकार समक्ष लेते हैं ,
क्षुधा, तृष्णा और आकर्षण , दिशा भ्रम देते‌ हैं।
एक साथ सब तृप्त न हो,जग विषमताओं से भरा हुआ।
मानव जीवन कंटक पथ है, संघर्षों से है भरा हुआ।।

संवेगों और संवेदनाओं का अलग ही ताना-बाना है,
कभी है कुछ पाना तो फिर संचित कुछ खो जाना है।
आशा और निराशा का चक्र उगा हुआ और ढला हुआ।
मानव जीवन कंटक पथ है, संघर्षों से है भरा हुआ।।

सुख की शैय्या पर हाथ पकड़ निद्रा दुलारती है ,
पाषाणों सी कड़ी चुनौती बार बार ललकारती है।
सूरज सा तपता जीवन, स्वप्न चंद्रशरद का भरा हुआ।
मानव जीवन कंटक पथ है, संघर्षों से है भरा हुआ।।