बिना लबों से कहे भी: डॉ. मीनल द्वारा रचित कविता


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प्यार तो सच्चा वही है
जो अनकहा हो
जहां खुद को साबित करने की कभी
जरूरत महसूस न हो
जहां हर बात पर सामने वाला
आपको गलत ठहराने की चेष्टा न करे
जहां दो दिलों के बीच मोहब्बत
जीते जी नहीं बल्कि
किसी एक के न रहने पर भी रहे
प्यार सागर से भी गहरा हो
और जो कभी सूखे नहीं लेकिन
उसे बिना लबों से कहे भी
आंखों की प्रेम भरी भाषा को
पढ़ने की दोनों में क्षमता हो
जिनके हृदय में
प्रेम के बीज सच में उपजते हैं
उन्हें आजीवन ‘मैं तुमसे
प्रेम करता या करती हूं’
यह वाक्य कहने की भी
कभी आवश्यकता नहीं पड़ती।


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