घनक, घटा, यह दामिनी सब तुमसे है
रंगों की बारिश और सराबोर यह जवानी भी तुमसे है,
कैसे न बलखाए हर कहानी जिंदगी की
समाई हर आशनाई भी जब सिर्फ़ तुमसे है!
कैसे न उलझे तार नयनों के
रंग फागुन का और यह गुलाबी शरारा भी जब सिर्फ़ तुमसे है,
करतीं आमंत्रित गुलाबी गालों की आभा, और
कहानियां पिरोतीं फिसलती गुलाल भी जब सिर्फ़ तुमसे है!
जश्न होली का और थिरकते जिस्म की भाषा
लरजते होंठों पर छाई मदमस्त अरूणाई भी सिर्फ़ तुमसे है,
बंदिशों को तोड़कर आवारा हुई यह तरूणाई
बस दिवाना हो गया हूँ रंगों की यह गहराई भी बस तुमसे है!
बाहों के दरमियाँ तुम्हारे साथ का फलसफा
रंगों में सने तुम्हारे बालों की महक और मनुहार सिर्फ तुमसे है,
इजहार प्यार का और लरज़ना होंठों का
सराबोर रंगों में आलिंगन की कसक भी बस तुमसे है!
रंगों की बारिश और यह अफसाना प्यार का
आहिस्ता रंगों के जुल्म ढ़ाने की अदा भी बस तुमसे है,
अबके होली फिर तुम याद बहुत आए
जवां धड़कनों के तरन्नुम बनने की वजह भी बस तुमसे है!