पिंजरा बना हो सोने का,
चांदी का या
किसी सामान्य धातु का
पिंजरा तो पिंजरा होता है
बंद कर दो उसमें किसी पंछी को
उसकी उससे आजादी छीनकर तो
पूछना फिर उसके दिल से कि
वह इस पिंजरे में बंद पड़ा
दिन रात कैसे तड़पता है
एक लंबे समय तक किसी पिंजरे या
इसी प्रकार किसी घर की कैद या
ऐसी अन्य किसी प्रकार की भी कारावास में गर
कोई बंद रहता है तो
उस कैदखाने से छूटने के बाद भी
उम्र भर वह एक कैदी ही कहलाता है
आसमान के नीचे खड़ा
वह एक आजाद पंछी होता है लेकिन
पंख होते हुए भी
वह आसमान में उड़ना तो दूर
जमीन पर चलना भी भूल जाता है
उसके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी अब यह
होती है कि वह खुली हवाओं में सांस
लेने के बावजूद
खुद को एक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ सा ही
महसूस करता है
जिंदगी ही उसे अब तो रास नहीं आती और
इस दफा वह अपने जिस्म की ही कैद से
अपने रूह के पंछी को
हमेशा के लिए
आजाद करना चाहता है।