खुले आकाश में
उड़ता एक पक्षी
स्वतंत्र है लेकिन
अपने दम पर जिंदा रहता है और
खतरों व कठिनाइयों से अकेले ही जूझता है
पिंजरे में कैद किसी पंछी की
आजादी पर तो लगते हैं पहरे लेकिन उसका रखा जाता है ख्याल
उसे दिया जाता है समय से
दाना पानी
उसकी होती है हिफाजत
उसे घर के एक सदस्य की तरह ही
प्यार और दुलार मिलता है
उस घर की चौखट के भीतर
नहीं घुस सकता कोई हिंसक पशु
उसका शत्रु
उसका विरोधी
उसे मारने या किसी प्रकार की
कोई क्षति पहुंचाने के लिए
घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण हो तो
वहां रहना भी किसी को
अच्छा प्रतीत होने लगता है
ऐसा करने की
समय के साथ आदत भी
पड़ जाती है
घर में कई बार एक प्यार की
स्नेह के पाशों में बंधने की
अपनाहट की
दुनिया भी मिल जाती है
यह तो फिर एक पंछी को ही
सोचना है कि वह
आजादी चाहता है या
बंदिशों में रह सकता है
घर में कैद किसी पंछी को
पिंजरे से निकालने पर
अधिकतर वह उड़कर कहीं नहीं
जाता
ऐसा शायद इसलिये कि
उसे आजादी से ज्यादा
घर के लोगों की मोहब्बत रास आ जाती है।