डाकिए ने झोले से निकाल, कहा,
आया है ये खत सीमा से।
आँखों से बहने लगे अश्क,
बहता कोई झरना जैसे.
खोला जब मैंने लिफ़ाफा,
मिट्टी वतन की मेह्की।
होठों पर आई हलकी सी मुस्कुराहट,
दिल में खुशी की लहर उठी।
उनकी खूबसूरत लिखावट पर,
जब पड़ी मेरी नज़रे,
गुम हो गयी मैं चंद पल,
शब्द थे ख़त में कुछ यूं लिखे।
करता हूँ याद तुम्हें हर क्षण
होगी हमारी मुलाकात न जाने कब।
भावनाओं का करेंगे आदान-प्रदान,
हम खतों के जरिए तब तक।
ना हो निराश, मेरी जान
राह तकना तुम मेरी।
रु-बा-रूह या कफ़न में
मिलने आऊंगा, है ये वादा मेरा।