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अनजान रास्ते: डॉ. सोनिया गुप्ता द्वारा रचित कविता

है अनोखा बड़ा ज़िंदगी का सफ़र,
राह अनजान है, ये अजब सी डगर,
काफ़िला भीड़ का रोज़ चलता यहाँ,
शख़्स हर एक पर है अकेला इधर।

दर्द के बोझ में जी रहे हैं सभी,
चेहरों पर हँसी, आए झूठी नज़र,
रंग कितने बिखेरे है ये ज़िंदगी,
सब रहें इसके रंगों से पर बेखबर।

जो गुज़र जाता पल, लौट आता नहीं,
कारवाँ याद का संग रहता मगर,
शान झूठी लिए जी रहे हैं सभी,
झूठ का ये नशा पल में जाता उतर।

ये ज़रुरी नहीं के गुलिस्ताँ ही हो,
राह में ज़िंदगी की कभी हैं कंकर,
मुश्किलें आ गयी, तो भी सब झेलते,
तय तो करना है आखिर उन्हें ये सफ़र।

मंज़िलें हैं कहाँ, कोई जाने नहीं,
पग बढ़ाए चले जा रहे सब मगर,
साँस थम जाएगी, धड़कनें भी रुकें,
ज़िंदगी है किराये का बस एक घर।