कोई मुझसे
मेरे जीवन का उद्देश्य
पूछे या
पूछे कि तुम्हारा लक्ष्य क्या है तो
इसका सीधा सा
सरल सा उत्तर है
एक अच्छा इंसान बनना
अपनी गलतियों को
स्वीकार कर
उसमें नित नये सुधार करना
किसी मनुष्य की अच्छाई
उसकी एक आधारशिला है
जिस पर उसकी पूरी इमारत का
बोझ टिका होता है
उसकी यह नींव ही गर मजबूत नहीं हुई तो
यह इमारत किसी भी पल
आनन फानन में ढह जायेगी
सबसे बड़ा नुकसान उसका
खुद का होगा
उसके साथ जुड़े लोग भी
उसकी चपेट में आ गये तो
उससे प्रभावित होंगे
खुद के घर में आग
लग जाये तो
वह कहां तक फैलेगी
इसका अंदाजा
कोई नहीं लगा सकता
आग लगे नहीं और
गर लग जाये तो
पहले से ही उसे बुझाने के
पुख्ता इंतजाम होने चाहिए
यह तो घर में लगी आग की
बात थी
किसी व्यक्ति में गर
विकार हो जायें उत्पन्न तो
वह भी किसी आग से कम
नहीं होते
सब कुछ जलाकर
राख कर देते हैं
कोई व्यक्ति खुद का करता
रहे निरंतर विकास
अपने अंदर गुणों को करता
रहे विकसित तो
जीवन भर यह पूंजी
उसका
हर कठिन घड़ी में
साथ देती है
इस लक्ष्य को पा लिया तो
बहुत सारे छोटे बड़े लक्ष्यों की
प्राप्ति भी शायद संभव हो
पाये और
किसी मनुष्य का जीवन
अपने लक्ष्यों को पाकर
फूला न समाये।