तेरी यादों की महक मुझे रिझा गई
दिल में मानो एक कसक सी जगा गई
खट्टे-मीठे एहसासों के मोती संग लेकर
सागर और नदियों के मिलन की यादें लेकर
सुकून में बेचैनियों का रंग भरने, पहली बारिश आ गई।।
वहीं ख़ुशबू तेरी, साँसों पे फ़िर छा गई
तेरी रूह के साथ, जैसे माटी मिले जल के साथ
तेरी ख़्वाबों में डूबी उन रातों को
उमड़ती हुई मेरी उन जज्बातों को
एहसास कराती सारी हर उन बातों को
सुकून में बेचैनियों का रंग भरने पहली बारिश आ गई..!!
बेबजह जो ये भींगी पलकें कब से राह तकती थी
वो खाली सी सड़कों पर, हर गली, हर डगर तुझे ढूँढती थी
ख्वाहिशों को फ़िर से जिंदा करने
बूंद-बूंद कर मोतियों सी मेरे दामन में संवरने
सुकून में बेचैनियों का रंग भरने पहली बारिश आ गई..!!