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रंगोत्सव: डॉ . राज करन द्विवेदी द्वारा रचित कविता

रंगोत्सव की बधाइयां सहित मित्र परिवार |
शुभकामना अशेष हो हृदय स्नेह स्वीकार |

खुलकर गले मिलें सभी शत्रु मित्र परिवार |
रंज तंज सब बिसरकर गले मिलें ज्यों यार |

उड़े अबीर गुलाल रंग रहे गगन में छाय |
तन मन ऐसे रंग चढ़े मिटे न कोटि मिटाय |

ऋतु अनंग की रंग संग मस्त किये सब अंग |
फाग चढ़ी चौताल पर कर गयी तबियत चंग |

वाम शरारत कर गयी विजया तनिक मिलाय |
दो गुझिया खाये असर लोहित गगन दिखाय |

गुंजा चुटकी काटकर गयी सखी गृह भाग |
चंदन मन भटकत फिरे उर तन लागी आग |

तान लगावत पखावज झाँझ ढोल मंजीर |
होली खेलें स्वजन संग अवध राज रघुवीर |

नंद गांव की टोलियां तज यमुना के तीर |
बरसाना ढूंढ़त फिरे राधा लिये अबीर |

गहरा रंग गुलाल का लगा बदन यहिं भांत |
को कान्हा को राधिका सब एक रूप दिखात |

फागुन गृह दहलीज पर चैत लगाये टेर |
लागे रंग अबूझ जग अब नहिं देर अबेर |