युद्ध भी आवश्यक है
किसी भी स्तर का पर
कभी कभार
बीच बीच में
अपनी बात को सबके समक्ष रखने के लिए
अपने मन की भड़ास को निकालने के लिए
अपने अंदर की गर्मी को बाहर फेंकने के लिए
छोटे, मध्यम या बड़े स्तर का युद्ध
एक बहुत लंबी, गहरी और चिरस्थायी शांति भी
कई बार मन में ऊब सी पैदा कर देती है
नीरस होती है
उत्पादक या रचनात्मक सिद्ध नहीं होती
युद्ध की पर एक सीमा होनी चाहिए
यह जानलेवा या घातक नहीं होना चाहिए
जान या माल का नुकसान किये बिना
कोई युद्ध या लड़ाई होती हो तो
फिर यह तो एक बेहतर दिशा की ओर
बढ़ता ही कोई कदम होता है
बहुत अधिक शांति या
शांतिप्रिय व्यक्ति की
मानसिक स्थिति भी फिर
समय के साथ शिथिल पड़ जाती है
हर किसी के भीतर एक ज्वाला
धधकती रहनी चाहिए
उसे उत्तेजित भी होना चाहिए
उसे क्रोध भी आना जरूरी है
भीतर से एक उबाल भी
उठना चाहिए
कुछ कर गुजरने का उसमें
जज्बा भी होना चाहिए
अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने की
उसमें शक्ति होनी चाहिए
यह जीवन तो एक युद्ध का
मैदान ही है
जिसने हथियार डाले या
जो थका या हारा या
मैदान छोड़कर भागा
वह फिर कहां बचा
वह तो फिर बस गया
वह फिर अंततः बस मरा।