बसंत वयार लाये जीवन में बहार
प्रकृति में छा जाए खुशियों का खुमार
हर ओर हो सरगम की फुहार
चढ़ जाए सब पर रंगों का बुखार।
मुस्कुराए पवन देख अधरों पर खुशियों के रंग
सूर्य रश्मियों से हो रही धरा नरम
बगिया में खिल रहे नवरंग
झूमो नाचो गाओ बसंत बहार संग।
खिलखिला कर आई उषा हुआ जब सुप्रभात
देख प्रकृति में हरियाली हुआ दिन मालामाल
पशु, पक्षी, मानव सब निकल पड़े करने को सैर
हो रहा जैसे सर्दियों बाद सबका मिलन।
बसंत बहार जैसे खुल जाए खुशियों के द्वारा
नहीं खुशी कहीं और है हमारे ही मन आंगन
बहारों के दिन आए मानो खुशियों के रंग आए
चलो मनायें बहारों के दिन खुशियों के संग।।