विद्यालय घर से दूर
एक दूसरा घर होना चाहिए
वहां के शिक्षक
बच्चों को उनके मां बाप के समान
प्यार करने वाले उनके अभिभावक से ही हों
बच्चे विद्यालय जाना ही तब चाहेंगे
जब उन्हें वहां एक घर जैसा ही
प्यार भरा सौहार्दपूर्ण वातावरण मिले अन्यथा
वह घबरा जायेंगे
उखड़ जायेंगे
वहां रूकना नहीं चाहेंगे
उनके सीखने की प्रक्रिया धीमी हो जायेगी
उनके दिल और दिमाग पर एक बुरा असर पड़ेगा
बच्चे तो एक खिलती कली के समान कोमल
होते हैं
उन्हें विकसित करने के लिए उनकी
देखभाल उन्हें प्रेम का हर पल पोषण देते हुए होनी चाहिए
इसके अभाव में वह फूल बनकर खिल नहीं
पायेंगे और
बीच रास्ते ही मुरझा जायेंगे
इसके लिए शिक्षकों में ज्ञान के साथ साथ
एक अच्छे दिल का इंसान होना भी अति
आवश्यक है
बच्चों की पहली चाहत शिक्षा नहीं
प्रेम है जिससे उनमें एक विश्वास की
ज्योत जलेगी और हंसी की बहार उनके
लबों पर खिलेगी
सीखने की प्रकिया का क्या है यह तो उम्र भर
चलती ही रहेगी।