अर्द्ध विराम
बेहतर है
पूर्ण विराम से तो
पूर्ण विराम तो जीवन खत्म होने पर ही
लगना चाहिए
जीवन के सफर के दौरान
बीच बीच में अर्द्ध विराम लग भी जायें तो
इसमें कोई बुराई नहीं है
थोड़ा सा विश्राम भी आवश्यक है
स्वयं को फिर से गतिमान बनाने के लिए
अपनी गति को
सही दिशा में
भरपूर मनोबल और ऊर्जा के साथ
आगे की दिशा में
बढ़ाने के लिए
विश्राम की स्थिति यह तो दर्शाती है कि
मुसाफिर इस समय थका हुआ है लेकिन
यह बिंदु इस ओर भी इशारा करता है कि
मुसाफिर यहां तक का सफर तय कर पाने में
सफल हुआ है
चलते चलते तो कोई मशीन भी थक
जाती है और
खराब भी हो जाती है फिर
यह तो एक आदमी की जिन्दगी की
कहानी है
किसी भी व्यक्ति को
कार्य के दौरान
बीच बीच में
थोड़े से आराम
थोड़े से बदलाव
थोड़े से मनोरंजन की आवश्यकता
पड़ती ही है ताकि
वह खुद को शारीरिक, मानसिक और
आत्मिक रूप से
जीवन की अगली जंग से लड़ने के लिए
खुद को पूर्ण रूप से तैयार कर सके
बिना कोई पूर्ण विराम लगाते हुए।