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नूतन वर्ष: प्रमोद सक्सेना द्वारा रचित कविता

गुजरे वर्ष की खठ्ठी -मीठी यादों को
भुलाकर आगे बढना ही जीवन हैं
नूतन वर्ष में सोच सकारात्मक रहे
तभी हम एक विकसित देश बनेंगें

हम भारतीय राष्ट्र के प्रति समर्पित रहें
तभी हमें विश्व गुरू का सम्मान मिलेगा
हमारा देश विकास की ओर अग्रसर हो
हृदय से यही कामना हम भारतीय करते हैं

हम मध्यम वर्ग और गरीबों के बारे में सोचें
अशिक्षा, बेरोजगारी एवं भेद-भाव दूर हो
बेटियों का यौनाचार बंद हो,वह शिक्षित हों
अन्नदाताओं और वरिष्ठजन का सम्मान हो

भारत की असली ताकत हमारा युवा वर्ग
इस युवाशक्ति का सदुपयोग होना चाहिए
उत्साह और उमंगों से भरा हमारा भारत
नूतन वर्ष उमंग और उत्साह से सुघंधित हो
जय भारत वर्ष!