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नंबर की कहानी

नंबर का तो बहुत महत्व है

जिंदगी में

घर पर गलती से

मोबाइल छूट गया हो और

जहां कहीं हो वहां से कोई

इमरजेंसी कॉल करन‌ी पड़ जाये तो

कुछ जरूरी फोन नंबर याद नहीं होंगे तो

फोन कैसे मिला पायेंगे

कहीं कोई गुम जाये जैसे किसी मेले की भीड़ में, रेलवे स्टेशन आदि पर तो भी

सबसे पहले उसका कांटेक्ट नंबर ही कोई पूछकर

उसके परिवार से सम्पर्क साधा जायेगा

कोई किसी दुर्घटना का शिकार हो जाये तो सबसे पहले भागते हुए की गाड़ी या

स्कूटर आदि का नंबर ही नोट किया

जाता है

अपनी डायरी में दुनिया भर के

महत्वपूर्ण दूरभाष नंबरों को लिखकर

रखा जाता है ताकि

जरूरत पड़ने पर किसी से बात की

जा सके

रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर

प्लेटफार्म नंबर

गाड़ी नंबर

बोगी नंबर

सीट नंबर

सब ठीक प्रकार से समझ में

आने चाहिए

नहीं तो गाड़ी छूट जायेगी  

सही सीट भी नहीं मिल पायेगी

यात्रा में असुविधा अलग होगी

ऐनक जरूर लगा लें

नंबरों को पढ़ते समय

कोई नंबर बिना ऐनक के

गलत जो पढ़ लिया और

किसी को गलती से फिर जो मिला

लिया तो  

हो सकता है कि वह कोई जानकार निकल आये या

फिर हो सकता है कोई लुच्चा लफंगा

आपके हाथ धोकर पीछे पड़ जाये

समय व्यतीत करने के लिए भी

लोग मैगजीन पलटते रहते हैं और

उसके पेज नंबर देखते

रहते हैं

कहीं खुद की कोई प्रकाशन

सामग्री प्रकाशित हुई हो तो भी

पेज नंबर का याद रखना या

किसी को बताना आवश्यक हो जाता है

माला भी जपते हैं तो

उसमें राम राम करके

गिनती गिनते रहते हैं

मेरे मां बाप ने मेरा नाम भी

काफी विचार विमर्श और शोध के बाद रखा

पांच नवंबर मेरी जन्म तिथि है तो

नाम में भी पांच ही इंग्लिश अल्फाबेट के अक्षर हैं और

जब कोई मेरा नाम पुकारेगा तो

उसमें से जो स्वर फूटेंगे

वह भी गिनती में पांच ही होंगे

एम.ए. में मेरा क्लास रोल नंबर

तेतीस था

यह किसी भी परीक्षा के

पासिंग मार्क्स होते हैं तो

यह तो कानों में मेरे

उस समय

अक्सर सुनाई पड़ता रहता था कि

कोशिश करने में क्या बुराई है

तेतीस पर तो वैसे भी पास हो ही

जायेंगे

एम.ए. में लगातार

दो साल

यह भी इत्तेफाक रहा कि

मैंने साइकिल स्टैंड का

साल भर का टोकन

लेने के लिए हर साल

दो बार जो फॉर्म भरा तो

काउंटर पर पहले से ही उसमें

तेतीस नंबर भर दिया

जिसको टोकन नंबर देना था

उसने हैरानी से पूछा कि

मुझे कैसे पता कि

वह मुझे तेतीस नंबर ही देने

वाला है

मुझे लगा कि क्लास रोल नंबर

से ही टोकन नंबर भी निर्धारित होता है

पर ऐसा नहीं था

दो बरस दो बार तेतीस नंबर का ही

टोकन मिलना

यह महज नंबरों का एक खेल था और

इत्तेफाक था

नंबर की कहानी तो

बहुत लंबी हो सकती है

ऐनक का नंबर

फोन का नंबर

जूते का नंबर

चप्पल का नंबर

परीक्षा में नंबर

बस का नंबर

मकान नंबर

स्कूल में रूम नंबर

कैदी नंबर

जन्मदिन, शादी की सालगिरह, पुण्यतिथि, त्योहार आदि की तिथियां

जो खुद में एक नंबर ही है

सीक्रेट कोड,

पिनकोड,

सड़क की दूरी नापता किलोमीटर

जनगणना के दौरान घरों पर पड़ते

यह सब नंबर ही हैं

रेलवे की वेटिंग,

डॉक्टर या ब्यूटिशियन के पास भी नंबर देकर ही अंदर भेजा जाता है

फिल्मों में भी नंबर का इस्तेमाल करने से जैसे

तेजाब फिल्म का एक दो तीन . . .

गाना सुपर डुपर हिट हो जाता है

किताब में चैप्टर या पेज नंबर

दर्जी या केमिस्ट की दवाइयों की हो पर्ची

सबमें नंबर ही नंबर

नंबर की कहानी तो अनंत है

जिसमें शून्य भी एक नंबर  

शून्य से ही होती किसी गिनती की

शुरुआत और

शून्य से ही अंत

गिनती की यात्रा हो चाहे

जीवन की यात्रा होती ऐसे पूर्ण

पूर्णता को प्राप्त करती

अर्धविराम तो

कभी पूर्ण विराम लगाती हुई

जिंदगी जो पूरी हो जाती तो

किसी की उम्र की गिनती भी एक नंबर में ही

कैद होकर रह जाती।