in

जिन्दगी का चमन फूलों सा महकता रहे

मेरी जिन्दगी के चमन का

माली नहीं रहा तो

फिलहाल तो देखरेख के अभाव में

बहारों के मौसम में भी

इस पर पतझड़ की मार है लेकिन

पतझड़ के बाद जैसे आती है बहार

वैसे ही समय लगेगा लेकिन

इस स्थिति में अवश्य ही सुधार होगा

जिन्दगी है तो

उसमें प्रयास भी आवश्यक हैं

करने भी चाहिए और

जिन्दगी के मुरझाये चमन में

एक बार फिर से

उम्मीदों के फूल तो खिलाने भी चाहिए

माली चला गया लेकिन

उसका चमन तो यहीं है

उसकी यादों से हमेशा ही गुंजायमान और

आबाद

वह भी खुश होगा जहां कहीं भी होगा

देखेगा जो

अपने चमन को फलते फूलते

दुखी होगा उसका मन जो देखेगा

इसको गर न हंसते

बस रोते और मुरझाये फूलों सा

हरदम ही झड़ते

पेड़ों से पत्ते, फल, फूल सब टूट कर

उससे जुदा होते रहते हैं

उनके स्थान पर नये पत्ते, फल, फूल

आदि उगते रहते हैं

जो विदा हुआ

वह भौतिक रूप से बेशक

हमारे बीच नहीं होते लेकिन

उनकी चारों दिशाओं में

बहती सुगन्ध

उनके चमन के कण कण में

समाई उनके तन की माटी की गंध

उनके न रहने पर भी

उनकी उपस्थिति हर हाल में दर्ज तो

कराती ही है तो

जो नहीं है वह भी और

जो है वह भी

हर कोई यही चाहता है और

कामना करता है कि

चमन हो चाहे फूलों का या

किसी की जिन्दगी का

वह चमन कहलाता ही इसीलिये है कि

वहां फूल खिलते रहें

मुस्कुराते रहें

अपनी सुगन्धित महक को हर सू

फैलाते रहें ताकि जब वह भी

विदा हों इस संसार से तो

उनके महान कार्यों को याद कर

उनके चमन में भी फूल खिलाये  

रखने वाला कोई अगली पीढ़ी या

आने वाले हर निश्चित समय पर

फूल खिलाने वाला एक माली हो

यह सिलसिला जिन्दगी के चमन को

गुलजार रखने का

चलते रहना चाहिए

समय के एक बहते प्रवाह की तरह

जैसे समय कहीं ठहरता नहीं है

ठीक वैसे ही

इसे भी कहीं रुकना नहीं है

जो नहीं हैं उनकी यादों और

आशीषों को साथ लेकर

महकते रहना है

कहीं से भी हतोत्साहित होकर

मुरझाना नहीं है।