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छोटी सी आशा: आराधना अग्रवाल द्वारा रचित कविता

विशाल, घोरतम ग़म का अंधेरा ग़र जीवन में छाए,
छोटी सी आशा- दीप जला, रोशन पथ हो जाए।
कभी भयानक झंझावातों में ग़र जीवन – नैया फंस जाए,
छोटी सी आशा- नैया में बैठ, तट पर इन्सां आ जाए।
जब आगे बढ़ने की डगर मिले ना, मुसीबत पहाड़ बन रास्ता रोके,
छोटी सी आशा – कुल्हाड़ी लेकर, हर मुसीबत को हम काटते जाए।
यदि मानव के कठोर हृदय से गंभीर चोटें लगातार लगे,
छोटी सी आशा दोस्ती की, हर बार हमें पुनः स्वस्थ करें।
आशा ही वह संजीवनी है, जो मृतप्राय जीवन में प्राण संचार करे,
आशा ही वह शक्ति है, जो कमज़ोर मनुष्य में लङने का हौसला जगाए ।
आशा का दामन कसकर थाम, उतरते हैं वो जीवन – रण में
एक छोटी सी आशा की चिंगारी, बना देती है विजयी रण में।
आशा के दम पर, असंभव को भी सम्भव मनुष्य ने कर के दिखाया,
आशा के साथ हर मुश्किल घड़ियों में हँसते हुए जी कर दिखलाया।
चमत्कार वहीँ होते हैं जहाँ आशा दिलों में बसती है,
वीराने को गुलजार बनाने, पहले आशा ही जगती है।