ऐ तांगे वाले
आज मौसम बहुत गर्म है
लू चल रही है
भरी दोपहरी है
गर्म हवाओं के थपेड़े
चेहरे और बदन की त्वचा को
खुश्क और बेजान कर रहे हैं
झुलसा रहे हैं
सांस भी नहीं आ रही है
तुम मुझे अपने तांगे में बिठा लो और कश्मीर की वादियों में कहीं घूमाने
ले चलो
अपने सड़क के बड़े पार्क पर जो
ठंडी सड़क है
वहां बिना मोल, बिना दाम,
बिना किसी झिकझिक के
इत्मीनान से ले चलो
बीच रास्ते जो भी सवारी
मिले तो उसे अपने तांगे में
बिठाते रहना
वह भी ठंडी सड़क तक चलना चाहें तो चलें नहीं तो
जहां कहीं पड़ती हो उनकी मंजिल
उन्हें वहीं छोड़ देना
ठंडी सड़क पर पहुंचकर
घने पेड़ों की हरियाली का खूब
लुत्फ उठायेंगे
पार्क के बाहर जो कोई खड़ा
होगा कुल्फी वाला तो
उससे ठंडी ठंडी कुल्फी और
बर्फ की चुस्की लेकर भी खायेंगे
ठंडे मीठे रंगबिरंगे शरबत
पीकर गले की प्यास बुझायेंगे
ठंडे पानी के छींटे मुंह पर मारते
रहेंगे
ठंडी हवाओं के झोंकों से भी
अपने बदन से टपकती
पसीने की बूंदों को सुखायेंगे
ठंडी सड़क पर ही लगे किसी
होर्डिंग पर लगे समीप ही कहीं बने
किसी ढाबे पर पहुंचकर
कुछ मजेदार व्यंजनों का स्वाद भी
चख आयेंगे
बीच रास्ते कोई आम वाला मिला तो
उससे आम लेकर खायेंगे
तरबूज और खरबूजे भी खरीद लेंगे
ककड़ी और खीरे को भी साफ पानी से धोकर
चाकू से उसके बीच चीरा लगाकर
उसमें नमक और लाल मिर्च का मसाला भरकर खायेंगे
पार्क के भीतर जाकर
कोयल की मीठी वाणी की
पुकार सुनेंगे
फूलों का रस निकालकर
अपने बदन पर मलेंगे
मधुमक्खियाों के छत्ते से टपकती
शहद की मीठी बूंदों का
रसपान भी करेंगे
वहां लगे मेहंदी के पौधों से
उसके पत्तों को तोड़कर
अपनी हथेलियों पर मेहंदी भी
रचायेंगे
वहां के ही किसी पोखर के जल
में डुबकी लगाकर स्नान करके
अपने तन मन में लगी
मौसम की गर्मी की अगन को भी
शनै: शनै: बुझायेंगे।