वह फूल
उस बाग का आखिरी फूल था
वह पत्ती उस फूल की आखिरी
पत्ती थी
उस बाग पर पतझड़ के मौसम की
मार थी
यह विपदा क्या ऐसी ही
बनी रहेगी हमेशा के लिए
नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है
यह बात तो वह बाग भी
भली भांति जानता है कि
कुछ समय पश्चात
बहारें उसके द्वार एक बार फिर
या बार बार लौट कर आयेंगी
उसके पेड़, पौधों को हरा भरा
करेंगी
उन पर रंग बिरंगे बेहिसाब
फूल, पत्ते और कलियां
खिलायेंगी लेकिन
उस आखिरी फूल के स्थान पर
कोई नया फूल होगा
उस जैसा ही सर्वगुण संपन्न
शत प्रतिशत भी चाहे
उससे मिले लेकिन
वह वह तो न होगा
कोई दूसरा ही होगा
वह उस बाग का आखिरी फूल
अपने जीवन के मैदान में
संघर्ष करता
अपना जीवन समाप्त करता
अपना सर्वस्व बलिदान करता
एक आखिरी योद्धा सा होगा
फूल खिलते रहेंगे
चमन गुलजार होते रहेंगे
वह जो था उस जैसा कोई दूसरा कौन होगा।