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अमलतास – मां सी छाया: अदिति नारंग द्वारा रचित कविता

 

निष्ठा करुणा से जगाती उम्मीदों का है यह अटल विश्वास,
सुनहरे फूलों से सजी हर डाल को  निखारे यह  अमलतास ।
 
स्वर्ग लोक से उतर, ज्यों हर बच्चे की आंखों का दमकता चमन ,
अलसाये मौसम में पीले रंग पर करती धूप की गर्मी का शमन,
 
 एहसास प्यारा ममता भरा, हर मन के पास सदा बहता,
चमकीली डाली, सुगंधित फूल आयुर्वेद की पहचान रहता,
 
संवारे सजाए सींचे हर नन्हे का बचपन से जवानी का सफर,
बन कर दर्द  की दवा, खत्म करे शारीरिक व्याधियों का कहर।
 
जो तृप्त करे मन को, उपवास पर बने यह अनुपम उपहार,
फली कठोर और बेलनाकार, करे रामबाण सा सम्पूर्ण उपचार।
 
हरे ज्वर, दर्द  की ज्वाला और हो माँ सी छाया का आभास,
देवता बन गैस, कब्ज़, गठिया मधुमेह का करे यह सर्वनाश,
 
खुशबूदार पत्ते इसके, पंखा कर सुलावे और तन-मन मुस्काए, 
धूप दुपहरी स्वयं ही सहता और करुणा बन कर छाया  बरसावे।
 
मान-शान शोभायमान होकर घर-घर में हो इस का स्थान,
स्वर्ण वृक्ष को शीश झुका कर आओ नमन करे हर इंसान।