समय है
यह प्रार्थना का
अपने ईश को याद करने का
दुनिया से दूर जाने का
प्रभु के करीब आने का
उनके चरणों की धूल को छूकर
अपने माथे पर एक तिलक की भांति लगाने का
उन्हें दिल में बसाने का
उन्हें अपनी आत्मा के अक्स में
बिठाने का
उनसे अपनी दिल की अनकही सारी बातें कह डालने का
उनसे अपने दुख दर्द बांटने का
उनके प्रेम के आंचल में सब कुछ भुलाकर कुछ पलों के लिए
समा जाने का
उनके दिखाये मार्ग पर
जीवन में चलने का
उनकी छवि को हर किसी के
नयनों के दर्पण में देख
ईश्वर के दर्शन
हर प्राणी में ही करने का
यह कुछ पल हैं
आत्मसमर्पण के
जीवन के सच को स्वीकारने के
प्रभु के अस्तित्व को संसार के
कण कण में पाने के।