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रौशन ज़िन्दगी : डॉ. सुबूही जाफ़र द्वारा रचित कविता

आओ ज़िन्दगी को रौशन बना दें
अँधेरे दिलों में दिए हम जला दें
भेद- भाव, ईर्ष्या- द्वेष, सब कुछ भुला दें
हर तरफ प्रेम का दीप जला दें
कहीं न हो अभिमान का अंधकार
हर चित्त हो प्रसन्न, न हो कोई विकार
न कोई छोटा न कोई बड़ा
हर कण में हो ख़ुशी की किलकार
न रहे किसी के मन में बैर
न हो कोई घर ख़ुशियों के बग़ैर
रहे अभिमान कोसों दूर सदा
समन्वय की चलती रहे बयार
तो आओ इस दिवाली यह लें प्रण
हर घर और हर दिल कर दें रौशन
वनवास समाप्ति का हर्षोल्लास मनाएं
सबके जीवन से अन्धकार मिटाएं