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रंगों की सौगात: मनीषा अमोल द्वारा रचित कविता

रंगो की सौगात जो तुम लेकर आये हो
मल दो मेरे तन पे ऐसे
कि बरसों से बेरंग ज़िंदगी
फिर से हसीन हो जाये

एक ऐसा पक्का रंग
जो समय के साथ धूमिल ना हो
यहाँ तक कि मेरे सपने भी
सराबोर ख़ुशनुमा हो जाये

मेरे अब तक के बिखरे विचार
एक खूबसूरत कहानी का रूप हो
अहसासों से भरी हो ऐसे
जिसे पढ़कर यादें रंगीन हो जाये

जैसे रात में चाँद की चमक
दिन में सूरज की धमक
रोशन हो मेरा हर पल
ज़िंदगी बहार हो जाये

मेरे जीवन में तुम्हारे कदम
जीवंतता की धार बन जाये
कभी पीछे मुड़ के न देखूँ मैं
एक ऐसा आसार बन जाये