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प्रियतम:  ललिता वेतीश्वरण द्वारा रचित कविता

जब से तुम प्रियतम मिले मुझे, मेरे जीवन ने अद्भुत मोड़ लिया
ये हिय तार तुम्ही संग जोड़ दिया
तुम्हारे उर स्पंदन की हुयी अनुगामिनी मैं
तुम्हारे प्रीत प्रेम की कामिनी मैं
प्रेम के इंद्रधनुषी रंग को है अब ओढ़ लिया
ये हिय तार तुम्ही संग जोड़ दिया
मेरे कमल चक्षु, कभी मृगनयिनी मैं
तेरे जीवन सरिता की तारिणी मैं
अपने प्रेम भाव को तुम पर निचोड़ दिया
ये हिय तार तुम्ही संग जोड़ दिया
मेरे अधरों में ज्वलित अनुरक्ति तुम्हारी
मेरी साँसों में धधकती आसक्ति तुम्हारी
हर रिश्ते नाते को अब मैंने तोड़ दिया
ये हिय तार तुम्हीं संग जोड़ दिया
तुम्हारे वक्ष में मिलते वो सुखद क्षण
वर्षों से वंचित वही आकर्षण
तुमसे प्रीती ने दुखों को पीछे छोड़ दिया
ये हिय तार तुम्ही संग जोड़ दिया