दिल में कांटो की चुभन बहुत है पर
चेहरे गुलाब की कलियों से खिले हैं
दर्द की खुद से लिपटी चादर पर रंगों की पिचकारी मारकर
हम खुशी-खुशी गुलाल मलते एक दूसरे के गले लगे हैं।
दिल में कांटो की चुभन बहुत है पर
चेहरे गुलाब की कलियों से खिले हैं
दर्द की खुद से लिपटी चादर पर रंगों की पिचकारी मारकर
हम खुशी-खुशी गुलाल मलते एक दूसरे के गले लगे हैं।
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